संयोजकता बंध सिद्धांत की सीमाएं

               

संयोजकता बंध सिद्धांत की सीमाएं

संयोजकता बंध सिद्धांत संकुलों के गुणों को स्पष्ट करने वाला एक सरल सिद्धांत है। किंतु इसकी कुछ सीमाएं हैं, इन्हे इस सिद्धांत की कमियां या दोष भी कहा जा सकता है।

(1) यहां सिद्धांत धातु संकुलों में विभिन्न संरचनाओं तथा विभिन्न उपसहसंयोजन संख्या उनके आपेक्षिक स्थायित्व की व्याख्या करने में असफल है। उदाहरण-यहां सिद्धांत इसकी संतोषजनक व्याख्या नहीं कर सकता कि Co(ii) अष्टफलकीय एवं चतुष्फलकीय दोनों प्रकार के संकुल क्यों बनाता है। जबकिNi(ii)  साधारणतया अष्टफलकीय  संकुल ज्यादा तथा चतुष्फलकीय संकुल बहुत कम बनाता है।

(2) कॉपर (ii) कि केवल विकृति अष्टफलकीय संकुल बनाने की प्रवृत्ति होती है, भले ही पहली छः लिगैण्ड समान हों।

(3) यह यहां सिद्धांत धातु संकुलों के उनके चुंबकीय चमक व्यवहार के आधार पर आंतरिक कक्षक तथा बाहय् कक्षक संकुलों में  वर्गीकृत करता है, जो क्रमशः सह संयोजक तथा आयनिक गुण रखने वाले माने जाते हैं। कुछ धातु संकुल इसके विपरीत व्यवहार दर्शाते हैं।

(4) इस सिद्धांत के अनुसार संक्रमण धातु संकुलों के रंग तथा चुंबकीय आघूर्ण संकुल के धातु आयन में उपस्थित अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों के कारण होती है। अतः उनके स्पेक्ट्रम तथा चुंबकीय आघूर्ण में एक परिणात्मक संबंध होना चाहिए किंतु यह सिद्धांत इसकी व्याख्या नहीं करता हैं।

(5) इस सिद्धांत के अनुसार संक्रमण धातु संकुलों के रंग तथा चुंबकीय आघूर्ण संकुल के धातु आयन से उपस्थित अयुग्मित इलेक्ट्रॉन के कारण होती हैं। अतः उनके स्पेक्ट्रम तथा चुंबकीय आघूर्ण में एक परिणात्मक संबंध होना चाहिए, किंतु यह सिद्धांत इसकी व्याख्या नहीं करता है।

(6) इस सिद्धांत के अनुसार धातु लिगैण्ड संबंध गुणात्मक है। इस सिद्धांत के द्वारा संकुलो के स्थायित्व संबंधित परिणात्मक जानकारी देना संभव नहीं है।

(7) इस सिद्धांत में धातु आयन को महत्व अधिक दिया गया हैं, जबकि लिगैण्ड के महत्व को स्पष्ट नहीं किया गया हैं।

(8) यहां सिद्धांत संकुल आयनो में अनु चुंबकत्व की ताप पर निर्भरता को स्पष्ट नहीं करता हैं।

(9) यह सिद्धांत अभिक्रिया की दर तथा क्रियाविधि के विषय में कोई सूचना नहीं देता हैं।

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